Wednesday, January 19, 2005

आओ साथी, हम चल कर ये दुनिया देखें।

आओ साथी, हम चल कर ये दुनिया देखें।

देख रहे हो पर्वत की उत्तुंग शिखाएँ?
मानव-पथ में लाया ये कितनी बाधाएँ!
पर अपनी ऊँचाई से प्रेरित करता रहा हमेशा,
आओ पैरॊं के निशान हम उसपर अपने भी रख दें।

आओ साथी, हम चल कर ये दुनिया देखें।

देख रहे हो पहाड़ों पर रहने वाले मानव भोले?
ऊँची-नीची थकाने वाली राहों पर हैं बैठे खोले,
राज़ अनेकों नए पुराने, प्रकृति ने जो दिए हमें हैं,
आओ इन संग बैठ क्षण भर हिमकणों से हम भी खेलें।

आओ साथी, हम चल कर ये दुनिया देखें।

खा नहीं सकते ये हम-तुम, देखो व्यंजन ये अजीबोग़रीब,
क्षणभर में ही ले आया ये, विभिन्नताओं को कितना क़रीब।
कुछ देना चाहते हैं ये, महत्व जिसका हमारी जीवन-शैली में नहीं,
आओ फिर भी भेंट इनसे प्यार भरी ये हम-तुम ले लें।

आओ साथी, हम चल कर ये दुनिया देखें।

कोशिश कर लो कितनी ही, भाषा ये समझ नहीं आती,
पर कोई सूत्र तो है, बात हमारी मानव बुद्धि समझ ही जाती।
कहना-सुनना इनसे कुछ है, भाषाएँ दीवार नहीं बनेंगी,
आओ परे भाषा के जाकर इनकी भी कुछ याद सँजो लें।

आओ साथी, हम चल कर ये दुनिया देखें।

दूर-दूर तक देखो कैसे, सागर यहाँ लहरा रहा,
लहरें निमंत्रण इसकी देतीं, हमको पास बुला रहा,
रहस्य अनगिनत हैं इसके अंदर छिपे जाने कब से,
ये रेत ज़रा टटोलें आओ हम भी सीपी मोती ढूँढ़े।

आओ साथी, हम चल कर ये दुनिया देखें।

पक्षी इतने दूर-दूर से क्यों यहाँ उड़ आते हैं?
अपनी भाषा में गाते क्यों, जाने, हमको लुभाते हैं।
अलग-सी दुनिया होगी उनकी, पर आनन्द वहाँ भी है,
आओ क्षण भर इनकी गुनगुन में हम भी खो लें।

आओ साथी, हम चल कर ये दुनिया देखें।

वीरान बने ये खंडहर कभी आलीशान रहे होंगे,
कोई मुस्कान खिली होगी, कुछ क्रूर ठहाके लगे होंगे,
उस समय यदि हम आते तो ये पहुँच से हमारे बाहर होते,
बीते समय का लाभ उठाकर आओ इनकी कथा टटोलें।

आओ साथी, हम चल कर ये दुनिया देखें।

ये कटे वृक्ष, ये बीमार से चेहरे, कुछ इनका भी संदेश है,
कैसे चकित हुऎ बैठे हैं अलग सा जॊ हमारा वेश है,
किस्मत ने यदि कृपा की है तॊ क्या हम कुछ कर सकते नहीं?
कुछ और नहीं तॊ थॊड़ी देर हम इनके भी सुख-दुख झेलें।

आओ साथी, हम चल कर ये दुनिया देखें।

कितनी व्यथा, कितने आँसू, इन सबकी कोई कहानी है,
सुख-दुख तो यहाँ रहते ही हैं, ये दुनिया आनी-जानी है।
इस चक्र से निकल नहीं सकते हम, पर जी तो उसको सकते हैं,
इस दुनिया के हर कोने से हम थोड़े से सुख-दुख ले लें।

आओ साथी, हम चल कर ये दुनिया देखें।

यों तो हम दुनिया अपनी एक-दूजे तक सीमित कर सकते हैं,
पर बनेंगे छोटे से महल जो, कभी भी वे ढह सकते हैं,
बना सके दुनिया विशाल तो जीवन कभी सूना न होगा ।
इतना विशाल है विश्व सामने, क्यों न प्रेम को शरण हम दे दें।

आओ साथी, हम चल कर ये दुनिया देखें।


No comments: