ज़िन्दग़ी, तू बड़ा तड़पाती है मुझे (3)
मैं ख़ुद को सँभालने की कोशिश करती हूँ,
पर इस असंभव बहाव में लिए कहाँ पर जाती है मुझे?
कैसी भूलभुलैया है जहाँ एक साथ ही असीम आनंद
और डरावनी शंकाओं का अहसास करवाती है मुझे ?
ज़िन्दग़ी, तू बड़ा तड़पाती है मुझे ।
मैं ख़ुद को सँभालने की कोशिश करती हूँ,
पर इस असंभव बहाव में लिए कहाँ पर जाती है मुझे?
कैसी भूलभुलैया है जहाँ एक साथ ही असीम आनंद
और डरावनी शंकाओं का अहसास करवाती है मुझे ?
ज़िन्दग़ी, तू बड़ा तड़पाती है मुझे ।
Posted by Jaya at 1/12/2005 04:16:00 AM
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