Wednesday, February 16, 2005

ज़िन्दग़ी सवाल खड़े करती क्यों है?

ज़िन्दग़ी सवाल खड़े करती क्यों है?

सपने दिखाती है ये हज़ार
सभी मानों रहे हों पुकार।
पर अलग-अलग सपनों के बीच
दीवार खड़ी करती क्यों है?

ज़िन्दग़ी सवाल खड़े करती क्यों है?

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