खुश कौन है?
दुनिया में खुश वही है,
जो है जान कर भी अनजान,
जो है समझ कर भी नादान,
जो सदस्य होकर भी मेहमान।
दुनिया में खुश वही है,
जिसके लिए नहीं है कोई समाज,
जिसके पास रहता है एक साज,
जो बजाता है सिर्फ अपना राग।
दुनिया में खुश वही है,
जिसे किसी से नहीं है मतलब,
जिसके लिए कुछ नहीं ग़ौर तलब,
जिसके लिए "मैं" में सिमटा है सब।
दुनिया में खुश वही है,
जिसकी रहती हैं आँखें बंद,
जिसके लिए एक हैं दुनिया के रंग,
जिनसे कोई अलग नहीं, ना ही कोई संग।
दुनिया में खुश वही है,
जो शायद कुछ करता नहीं,
किसी के दुख में आहें भरता नहीं,
कभी खुशी में हँसता नहीं।
हाँ, दुनिया में खुश वही है,
जिसके लिए हर चीज सही है,
जिसे किसी से कुछ नहीं मतलब,
जिसके लिए कुछ भी नहीं ग़लत।
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