Monday, March 18, 1996

मेरी सहेली

यो प्रश्न आज तक मेरे लिए है एक पहेली
जिसे ढूँढ़ती हूँ मैं कौन है वह सच्ची सहेली?

मैं नहीं चाहती केवल एक सहेली,
जो हो एक जानी समझी पहेली,
मुझे चाहिए कोई मेरा अपना,
जो कि सच हो न हो केवल सपना,
जिसके पास मन का अच्छा रूप हो,
भले ही उसकी चमड़ी काली कुरूप हो,
जो मुझे समझ सके,
और मेरे साथ रो-हँस सके,
जो मुझे पहचान सके,
मेरे अंतर की आवाज़ को जान सके,
मुझे सिर्फ मेरे ही रूप में मान सके,
जिसपर मैं विश्वास कर सकूँ,
आगे बढ़ने के लिए जिससे सहायता की आस कर सकूँ,
जो मेरी मुश्किलों का हल बता सके,
और मेरी मेहनत का फल दिला सके,
क्या इस संसार में कोई ऐसा मनुष्य है,
जो मेरी कल्पना के मित्र तुल्य है?
हे ईश्वर क्या मैं उसे कभी पा सकूँगी?
और उसे पा जीवन में सफलता के फूल ला सकूँगी?

No comments: