मन के साथ भटकना होगा
मन के पीछे चलने वाले,
मन के साथ भटकना होगा।
हाँ, अभी देखी थी मन ने
रंग-बिरंगी-सी वह तितली
फूल-फूल पे भटक रही थी
जाने किसकी खोज में पगली।
रंग-बिरंगी-सी वह तितली
फूल-फूल पे भटक रही थी
जाने किसकी खोज में पगली।
पर वह पीछे छूट गई है
इन्द्रधनुष जो वह सुन्दर है
अब उसको ही तकना होगा।
मन के पीछे चलने वाले,
मन के साथ भटकना होगा।
बच्चों-सा जो कल सीधा था
और कभी किशोर-सा चंचल
आज वयस्कों-सा वह दूर, क्यों
रूप बदलता है पल-पल?
मन घबराए, गुस्सा आए
चोट लगे, आँसू आ जाएँ
हर कुछ को ही सहना होगा।
मन के पीछे चलने वाले,
मन के साथ भटकना होगा।
10 comments:
बढिया रचना है।बधाई।
GAJENDRA THAKUR Says:
April 29, 2008 at 1:29 pm
Jayaji,
I came through your blog and am humbly inviting to write for ‘VIDEHA’at http://www.videha.co.in/ Ist Maithili Fortnightly e Magazine. You can send your rachna/alochna to ggajendra@videha.co.in/ or ggajendra@yahoo.co.in/
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GAJENDRA THAKUR
वाह कितनी प्यारी पंक्तियाँ हैं, मन के पीछे चलने वाले मन के साथ भटकना होगा..
http://jhankar.wordpress.com/
superb....keep it up
आपकी यह रचना निम्न पते पर किसी और के द्वारा छापी देख आश्चर्य हुआ. आपकी सूचनार्थ:
http://hindireader.blogspot.com/2008/11/blog-post_20.html
धन्यवाद समीर जी। मैंने उस blog पर comment छोड़ा है। देखते हैं, आशा है कि सुझाव पर अमल हो जाए।
बच्चों-सा जो कल सीधा था
और कभी किशोर-सा चंचल
आज वयस्कों-सा वह दूर, क्यों
रूप बदलता है पल-पल?
vaah...
Very very nice shayari thanks for sharing I loved it
Love Shayari
Nice Poem
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