Friday, July 23, 2004

पहचान की तलाश

एक पहचान की तलाश से इनकार नहीं कर सकती।

कुछ पता नहीं कि क्या चाहती हूँ,
ये जगह बेगानी सी है ये जानती हूँ।
पर जो कुछ भी हो रहा है मेरे चारो ओर
उससे भी बेजार नहीं रह सकती।
एक पहचान की तलाश से इनकार नहीं कर सकती।

मुझे सारी दुनिया नहीं जीतनी,
कोई चीज़ नहीं चाहिए कीमती।
जो छूटा है वो थका चुका था, पर जो सामने है
उसको भी स्वीकार नहीं कर सकती।
एक पहचान की तलाश से इनकार नहीं कर सकती।

भीतर की हो या हो बाहर की,
डर हो या अपेक्षा एक आहट की,
कुछ कमी है मेरे जीवन में - इस तर्क से
कुछ भी कर आज मैं तकरार नहीं कर सकती।
एक पहचान की तलाश से इनकार नहीं कर सकती।


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