तुम्हारे बाद
मंज़िलें हैं, रास्ते हैं,
दूरियाँ हैं, माध्यम है।
बस प्रोत्साहन नहीं है,
कहीं तुम्हारे बाद।
रिश्ते हैं, नाते हैं,
लोग अपने बनते जाते हैं,
पर अपनत्व नहीं है,
कहीं तुम्हारे बाद।
हवाई जहाज, रेलगाड़ियाँ हैं,
न कुछ हो तो बैसाखियाँ हैं,
एक सहारा नहीं है,
कहीं तुम्हारे बाद।
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