Thursday, January 10, 2008

खालीपन का संगीत

गाए हैं बहुत ही मैंने, सुख और दुःख के गीत
आओ सुनाऊँ आज खालीपन का भी संगीत।

महसूस की है तुमने रागिनी जो बजती है
जब बाहों में होकर भी मिलता नहीं मीत?

जब सैलाब-सा होता है मन के अंदर कोई पर
मिलती नहीं दो बूँद जिससे धरती जाए रीत।

मुस्कान की जगह आँसू आते आँखों में जब,
जीत कर भी ज़िन्दग़ी में मिलती नहीं जीत।

5 comments:

Anonymous said...

pyari si kavita jaya.
ye bhatkan hi manjil tak le jati hai. man ke sath bhatakna hi to duniya ki khoj hai, duniya ki samajh hai. nadi ki dhara hai.... bhatko .. man ke sath bhatakne se daro mat.
Utpal
utpal@aupsmultimedia.com

Aman said...

bahut khub

Shubh Mandwale said...

Very Nice PoemRead More

Aarti Mittal said...

Nice thanks for sharing…… love your blog.
Vist your blog again and again.


hindi book writer

thewriterfriends said...

Thank you for sharing this.
उंगली से शीशे पर लिखती हूँ नाम तुम्हारा
और घबरा कर मिटा देती हूँ
तुम क्या जानो मैं अपने दिल को तसल्ली
किस किस तरह देती हूँ...
hindi poetry blog.