Thursday, November 11, 2004

इतिहास

इतिहास बड़ी अजीब-सी चीज़ होता है।

जिसके लिए तुम अपना सर्वस्व गँवाते हो,
जिसके लिए लाखों का खून बहाते हो,
उसे एक मोटी सी किताब के
एक पन्ने या एक पंक्ति में समेट देता है।

इतिहास बड़ी अजीब-सी चीज़ होता है।

गुप्त पत्र दुनिया से छिपा तुम भिजवाते हो,
जिसे गुप्त रखने में अपनी जान गँवाते हो,
उसे एक शीशे के बक्से में डाल
दुनिया के मनोरंजन हेतु खुले में रख देता है।

इतिहास बड़ी अजीब-सी चीज़ होता है।

जिसके होने-न-होने का तुम्हें आभास न हुआ,
जिसके होने पर भी होने का विश्वास न हुआ,
उसके कारणों की एक लम्बी-सी
प्रामाणिक सूची बना कर देता है।

इतिहास बड़ी अजीब-सी चीज़ होता है।

जिसके अच्छे या बुरे होने का कभी तुम निश्चय न कर पाए,
जिसका पक्ष-विपक्ष करते कितनों ने जीवन बिताए,
उसका वर्गीकरण कितनी ज़्यादा
आसानी से कर देता है।

इतिहास बड़ी अजीब-सी चीज़ होता है।

जिस विचारधारा के अस्तित्व का तुम्हें पता न था,
जिसके विरुद्ध विश्वास के ऊपर कभी विवाद होता न था,
उस विचार का प्रमाण जमा कर
बिना बात के विवाद खड़ा कर देता है।

इतिहास बड़ी अजीब-सी चीज़ होता है।

जो अंतःपुर व अंधी कोठरियाँ तुम बनवाते हो,
हवा या प्रकाश भी न पहुँचे, निश्चित करवाते हो,
उसे लोकतंत्र के राज में पर्यटक-स्थल
बना सबको भेंट कर देता है।

इतिहास बड़ी अजीब-सी चीज़ होता है।

जिसे वह अच्छा बनाना चाहता है,
उसके सब दोष भुला देता है।
जिसे बुरा दिखाना चाहता है,
उसके दिए अवशेष मिटा देता है।
अपनी सुविधा के लिए काले और सफ़ेद
के बीच के सब रंग हटा देता है।

इतिहास बड़ी अजीब-सी चीज़ होता है।

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