Friday, October 04, 1996

बादल से आग्रह

ओ बादल! हार मानी है तुमसे कई रवियों ने,
महिमा गाई है तुम्हारी कई कवियों ने।

सुना है कि एक बार एक प्रेमी का व्यथा,
सुनाई थी जाकर उसकी प्रेमिका को उसकी कथा,
आज मैं भी अपना एक संदेश विश्व को सुनाना चाहती हूँ,
और उस संदेश के वाहक के रूप में तुम्हें पाना चाहती हूँ।
जाओ, आज दुनिया वालों को मेरा संदेश दे दो,
"दुनिया वालों! भावी पीढ़ीयों को उनके प्रेम-पूरित देश दे दो।"
उनसे कहो कि हैवानियत की राह से वापस हो जाएँ,
उस वक़्त से पहले जब इन्सानियत सो जाए।

मेघ! तेरे जल की तुलना लोगों ने आँसू से की है,
देख ले आज इन आँखों में आँसू भी हैं,
आ, मेरी आँखों के आँसू ले ले,
और वर्षा के द्वारा पूरी दुनिया को दे दे,
मानवता की विदाई पर निकलने वाले10
आँसू से तू पूरी दुनिया ही भिगो दे।
जा हवा के साथ तू मानवता की ओर,
और लाकर वह उपहार मानवों को दे दे।

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