मुझे किसी अनजान की याद आती है
कौन कहता है कि अनजान व्यक्ति महत्वहीन है?
उसका महत्व उससे पूछो जो कि ग़मगीन है।
जब जब ग़मों में डूबी रहने पर भी
चारों ओर से मुसीबतें ही आती हैं,
तब तब किसी सच्चे साथी की खोज में
मुझे किसी अनजान की याद आती है।
जब जब जीवन में भटकाव महसूस होता है,
और फिर सँभलने की बारी आती है,
तब तब मजबूत सहारे की खोज में
मुझे किसी अनजान की याद आती है।
जब जब सर पर किसी का हाथ नहीं होता
और जीवन की धूप तेज हो जाती है,
तब तब एक शीतल छाया की खोज में
मुझे किसी अनजान की याद आती है।
जब जब ज़िन्दग़ी को ढोने में
कंधों की शक्ति क्षीण हो जाती है,
तब तब मजबूत कंधों की खोज में
मुझे किसी अनजान की याद आती है।
जब जब कोई गलत राह चुन जाती हूँ
और आत्मा ख़ुद की ही धिक्कार पाती है,
तब तब हार्दिक सांत्वना की खोज में
मुझे किसी अनजान की याद आती है।
जब जब मेरी आत्मा और इन्द्रियाँ
समाज के विपरीत चलना चाहती हैं,
तब तब एक सही सलाहकार की खोज में
मुझे किसी अनजान की याद आती है।
जब जब किसी से डरकर सहमकर
आत्मा ठिठक कर खड़ी रह जाती है,
तब तब आंतरिक शक्ति की खोज में
मुझे किसी अनजान की याद आती है।
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