Monday, February 26, 1996

एकता

भारत में एकता नहीं थी तो हो गया वह गुलाम,
पर आज भी देखने को मिल रहा है हमें इसका एक परिणाम।

सन् सत्तावन का विद्रोह जो सबने साथ नहीं किया,
गड़बड़ भी की और एक बुरा परिणाम हमारे लिए छोड़ दिया।

यदि एकता होती तो एक ही नेता का नाम आज याद करने को मिलता,
कम-से-कम उस कारण से, इतिहास पर से हमारा विश्वास तो न हिलता।

काश!
सबने सुधार आंदोलन एक साथ किया होता,
जब उद्देश्य एक था तो एक साथ जिया होता,
मैं गलत तो नहीं कह रही न!
क्यों छोड़ गए हमारे लिए एक ओर आर्य समाज, तो ब्रह्म समाज
क्यों बसाया एक ओर रामकृष्ण मिशन, तो प्रार्थना समाज।

इसलिए हे देश के विद्यार्थियों!
इनकी गलतियों से शिक्षा लो,
आतंकवादी बनो या सुधारक,
रखना सदा मन एक,
ताकि आगे आने वाली पीढ़ी को,
उठाने न पड़ें वैसे कष्ट जो,
आज तुम उठा रहे हो,
और पूर्वजों के अवगुण गा रहे हो।

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