Sunday, November 14, 2004

उर्वशी के नाम

(इस कविता की प्रेरणा दिनकर की प्रसिद्ध रचना 'उर्वशी' पढ़ने से आई। दिनकर रचित 'उर्वशी' को जवाब देना, वह भी कविता के माध्यम से, दुस्साहस ही कहा जाएगा, किन्तु मनुष्य कभी-कभी दुस्साहस कर बैठता है। मैं भी अपवाद नहीं हूँ।)

गन्ध का कोई महत्व नहीं था
तेरे आकुल जीवन में,
पृथ्वी पर प्रतिबंध नहीं ये,
धारणा थी तेरे मन में।

सत्य है यह सिद्धांतों में,
पर हमें भी सुलभ नहीं है,
स्वर्गीय चीज़ है तू तुझे ये
धरती पर भले दुर्लभ नहीं है।

किसी समाज से बँधी नहीं तू,
पेट की चिन्ता न तुझे सताती,
स्वर्ग के रिश्ते तोड़ तभी तू
पृथ्वी पर आनंद मनाती।

अयोनिजा तू है, जन्म मे
तुझपर कोई बन्धन न डाला,
कुछ भी कर ले तू, कोई भी
व्यथित हो करने क्रंदन न वाला।

लोक-लोक में उड़ सकती तू
कोई बंध नहीं है,
तभी तो महत्वपूर्ण तेरे
जीवन में गंध नहीं है।

जन्म व कर्म के भारों के
बीच प्रेम हम हैं कर जाते,
टूक-टूक हो जाते प्राण,
सारे रिश्ते यों निभाते।

ओर अलग-अलग इन कर्तव्यों में
क्लेश जब अक्सर होता है,
असमर्थता जानकर अपनी
हृदय बहुत रोता है।

खुद की धिक्कार उस असमर्थता
पर जब सहन नहीं हो पाती है,
कोई उपाय ढूँढ़ने को हृदय की
धड़कन दौड़ लगाती है।

और समाधान उस वक़्त एक
ही आता है जीवन में,
गंधों से बहलाकर ख़ुद को
चैन आता है मन में।

अपनी व दूजों की तब हम
असमर्थता माफ़ करते हैं।
गन्ध को हृदय से गला प्रिय के
सुख की कामना करते हैं।

पर तू क्या समझेगी ये, कभी
ऐसी व्यथा दिल में सेवी है?
सच ही कहा था तूने -
तू मानवी नहीं देवी है।

ईर्ष्या कर मुझसे तो बड़ी बनेगी तू
और उज्ज्वल मेरा मान होगा,
मैं जल भी नहीं सकती तुझसे,
आहत मानव का स्वाभिमान होगा।

Thursday, November 11, 2004

प्रेरणा

क्योंकि वह स्वयं व्यक्त नहीं हो पाती है,
शायद इसलिए वह प्रेरणा बन जाती है।

वह जो स्वयं पीछे रहते हुए भी
किसी की कलम से निकला महाकाव्य बन जाती है,
दुनिया में अस्तित्वहीन हो भी
बड़ी-बड़ी चट्टानें पिघला पाती है।

क्योंकि वह स्वयं व्यक्त नहीं हो पाती है,
शायद इसलिए वह प्रेरणा बन जाती है।

वह जो सामने आए बिना भी
चित्रकार की तूलिका को गति दे जाती है,
जो खुद अदृश्य होकर भी
उस कृति में सजीव हो जाती है।

क्योंकि वह स्वयं व्यक्त नहीं हो पाती है,
शायद इसलिए वह प्रेरणा बन जाती है।

जो एक सरकटे के शरीर में
हज़ारों की शक्ति ले आती है,
जो एक अकेले के आगे
हज़ारों के झुका जाती है।

क्योंकि वह स्वयं व्यक्त नहीं हो पाती है,
शायद इसलिए वह प्रेरणा बन जाती है।

वह जिससे निद्रा-बोझिल आँखें भी
असीम ज्योति पा जाती हैं,
जो थकान से टूटे शरीर को भी
ऊर्जावान कर जाती है।

क्योंकि वह स्वयं व्यक्त नहीं हो पाती है,
शायद इसलिए वह प्रेरणा बन जाती है।

वह जो साधारण मानव में भी
कुछ करने का जुनून भर जाती है,
जो समर्थों से उनके छिपे हुए सामर्थ्य
का अहसास बयाँ कर जाती है।

क्योंकि वह स्वयं व्यक्त नहीं हो पाती है,
शायद इसलिए वह प्रेरणा बन जाती है।

जो ख़ुद कभी आगे न आई,
जिसकी सीधी गाथा न किसी ने गाई,
जो किसी के अंदर रह गई घुटकर,
पर एक रचयिता का बल उसमें गई भऱ।

जिससे निकली रचना देख
देह मेरी सिहर जाती है,
जिसके बारे में बिना जाने भी
मेरा काया उसे शीश नवाती है।

क्योंकि वह स्वयं व्यक्त नहीं हो पाती है,
शायद इसलिए वह प्रेरणा बन जाती है।

इतिहास

इतिहास बड़ी अजीब-सी चीज़ होता है।

जिसके लिए तुम अपना सर्वस्व गँवाते हो,
जिसके लिए लाखों का खून बहाते हो,
उसे एक मोटी सी किताब के
एक पन्ने या एक पंक्ति में समेट देता है।

इतिहास बड़ी अजीब-सी चीज़ होता है।

गुप्त पत्र दुनिया से छिपा तुम भिजवाते हो,
जिसे गुप्त रखने में अपनी जान गँवाते हो,
उसे एक शीशे के बक्से में डाल
दुनिया के मनोरंजन हेतु खुले में रख देता है।

इतिहास बड़ी अजीब-सी चीज़ होता है।

जिसके होने-न-होने का तुम्हें आभास न हुआ,
जिसके होने पर भी होने का विश्वास न हुआ,
उसके कारणों की एक लम्बी-सी
प्रामाणिक सूची बना कर देता है।

इतिहास बड़ी अजीब-सी चीज़ होता है।

जिसके अच्छे या बुरे होने का कभी तुम निश्चय न कर पाए,
जिसका पक्ष-विपक्ष करते कितनों ने जीवन बिताए,
उसका वर्गीकरण कितनी ज़्यादा
आसानी से कर देता है।

इतिहास बड़ी अजीब-सी चीज़ होता है।

जिस विचारधारा के अस्तित्व का तुम्हें पता न था,
जिसके विरुद्ध विश्वास के ऊपर कभी विवाद होता न था,
उस विचार का प्रमाण जमा कर
बिना बात के विवाद खड़ा कर देता है।

इतिहास बड़ी अजीब-सी चीज़ होता है।

जो अंतःपुर व अंधी कोठरियाँ तुम बनवाते हो,
हवा या प्रकाश भी न पहुँचे, निश्चित करवाते हो,
उसे लोकतंत्र के राज में पर्यटक-स्थल
बना सबको भेंट कर देता है।

इतिहास बड़ी अजीब-सी चीज़ होता है।

जिसे वह अच्छा बनाना चाहता है,
उसके सब दोष भुला देता है।
जिसे बुरा दिखाना चाहता है,
उसके दिए अवशेष मिटा देता है।
अपनी सुविधा के लिए काले और सफ़ेद
के बीच के सब रंग हटा देता है।

इतिहास बड़ी अजीब-सी चीज़ होता है।