Wednesday, December 20, 1995

हमारी माटी

ये माटी है हमारी, ये माटी है हमारी
ये ना केवल है मेरी, ना ही ये तुम्हारी

ज़ुल्म-ओ-सितम ने इस माटी को गर्त में है ढकेल दिया
कुछ नासमझों ने इसको पर्तों में है समेट दिया
पर्तों से इसको निकालने को आज हमको ललकारी।

कम-से-कम इतना तो करना ही है हमको यार मेरे
सोई हुई इस माटी को जगाना है यार मेरे
ये माटी हरदम से ही है मेरे यार बड़ी हितकारी।

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