असफलताएँ क्यों आती हैं?
असफलताएँ क्यों आती हैं?
क्या जीवन रूखा नहीं हो जाएगा?
क्या लक्ष्य सूखा नहीं हो जाएगा?
यदि हर कुछ मिलता गया यों ही
हर कुछ अपनी पहुँच में हो ज्योंकि।
कैसे ज़िन्दग़ी कभी भी नए मोड़ लेगी?
यदि सोचे रास्ते को असफलता नहीं तोड़ देगी?
कैसे वो अनसोची, अनजानी बातें होंगी?
कैसे वो अलग-सी सुबहें लाने वाली रातें होंगी?
कैसे हमारा मानवीय ग़रूर काबू में रहेगा?
क्या होगा यदि इन्सान हमेशा सफलता के नशे में बहेगा?
कैसे वो अपनी कमज़ोरियों का समझेगा?
कैसे वो औरों की वास्तविकता परखेगा?
असफलताएँ इसलिए आती हैं।
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