मत निहारो इनको
पता है कुछ चीज़ें तुम्हारे हाथ में नहीं हैं,
इसलिए तुम असहाय हो, परेशान हो।
पर अगर सोचती हो कि इसका उपाय
तारों को एकटक देखने में है तो तुम नादान हो।
सदियों से मानव ये करता आया है,
अकेलेपन और बेबसी का दर्द भरता आया है,
अपने को भुलाकर चाँद, तारों और फूलों में कुछ पल,
शायद इस उम्मीद में कि कोई चमत्कार दे कुछ कल।
पर चमत्कार नहीं होते, मत निहारो इनको
एक और रात चली जाएगी, बोझ मिलेगा किसको?
समय ना कम पड़ जाए, जो कुछ तुम्हारे हाथ में है, वो तो करो,
जो बाहर हैं शक्ति से, उन्हें किस्मत पर छोड़ दो, मत डरो।
पता है, कुछ चीज़ें तुम्हारे हाथ में नहीं हैं,
और जी करता है कि सब छोड़कर दूर कहीं चले जाएँ,
पर मुँह नहीं मोड़ सकते हम जीवन से, आगे बढ़ते समय से,
कभी थक कर हताश होकर दुःख के दो गीत भले ही गाएँ।