एक टुकड़ा ज़मीन
एक मुठ्ठी आसमान
ढूँढ़ने के दिन चले गए।
आसमान पर ही तो लटके हैं हम,
कई फीट ऊपर।
त्रिशंकु बन गए हैं।
एक टुकड़ा ज़मीन मिल जाए
पैरों के नीचे बस,
आसमान हम फिर कभी ढूँढ़ लेंगे।
ढूँढ़ने के दिन चले गए।
आसमान पर ही तो लटके हैं हम,
कई फीट ऊपर।
त्रिशंकु बन गए हैं।
एक टुकड़ा ज़मीन मिल जाए
पैरों के नीचे बस,
आसमान हम फिर कभी ढूँढ़ लेंगे।