सवाल
सवाल कईयों ने पूछे हैं,
मैं पहली नहीं हूँ।
सवाल सभी पूछते हैं,
मैं अकेली नहीं हूँ।
पर बहुत से लोग
सवाल पूछ-पूछ कर थक गए।
जवाब मिलने की तो छोड़ो
कोई अलग रास्ता तक न सूझा।
उसी लीक पर चलते गए।
और मैं?
क्या कम-से-कम
अलग रास्ता अपना पाऊँगी?
या यों ही अपने सारे सवाल लिए
एक दिन ख़ुद भी चली जाऊँगी।
7 comments:
hi Jaya,
came across your site while i was googling for something. you write really well!!
जया ,
जीवन का मतलब मात्र लीक पे चलना और प्रकृति, समाज, मन के बंधनो में उलझ के रह जाना ही नही है । एक बुद्धिजीवि का संघर्ष इसी फ्रेम में रह कर इसके बाहर कि सोचना है ।
ग़ालिब ने कहा है -
हमको मालूम है जन्नत कि हकीकत फिर भी ,
दिल कि खुश-रत में ग़ालिब ये ख़्याल अच्छा है ।
हम ना वास्तविकता बदल सकते है और ना ही परिस्थिति , जो हम बदल सकते है वो है मायने ।
- आशुतोष
http://anubhutiyaa.blogspot.com/
jayaa, you can very well find your answers provided your satisfaction/expectation quotient is low. People who are in search of perfection never reach their goal. But it's really good to keep enquiring. Good writings.
NICE POEM
you write very well jaya.. keep it up!
wow
Very Nice Poem
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