ज़िन्दग़ी सवाल खड़े करती क्यों है?
ज़िन्दग़ी सवाल खड़े करती क्यों है?
सपने दिखाती है ये हज़ार
सभी मानों रहे हों पुकार।
पर अलग-अलग सपनों के बीच
दीवार खड़ी करती क्यों है?
ज़िन्दग़ी सवाल खड़े करती क्यों है?
ज़िन्दग़ी सवाल खड़े करती क्यों है?
सपने दिखाती है ये हज़ार
सभी मानों रहे हों पुकार।
पर अलग-अलग सपनों के बीच
दीवार खड़ी करती क्यों है?
ज़िन्दग़ी सवाल खड़े करती क्यों है?
Posted by Jaya at 2/16/2005 05:24:00 AM
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