मुझे इंसानों की तरह जीने दो
मुझे इंसानों की तरह जीने दो
मुझे देवी न बनाओ।
मुझे देखकर
अचकचाकर
रास्ता न छोड़ो।
सब अपना रास्ता
ख़ुद बनाते हैं,
मैं भी बनाऊँगी।
मेरे लिए रास्तों में फूल न बिछाओ।
मुझे इंसानों की तरह जीने दो
मुझे देवी न बनाओ।
मैं गिरी हूँ
घुटने ही छिले हैं,
तुम्हारे भी छिले होंगे
कई बार, तो मुझे
वापस जाने का उपदेश न पिलाओ।
अपने काम छोड़ मुझे मरहम न लगाओ।
मुझे इंसानों की तरह जीने दो
मुझे देवी न बनाओ।
दुनिया कल तक तुम्हारी थी,
मेरे पास तुम कम ही आते थे।
जब भी आते थे, अपना एक रूप
मुझपर थोप जाते थे।
आज भी दुनिया पर तुम्हारा ही कब्ज़ा है,
पर आज मैं सड़कों पर निकली हूँ, बहुत काम हैं
तुम्हारे लिए खुद को परिभाषित करने का बोझ न दिलाओ।
मुझपर तुम्हारी बहन, बेटी या प्रेमिका का भी बंधन न लगाओ।
मुझसे मेरे अंदर बैठे इंसान की परिभाषा न चुराओ।
मुझे इंसानों की तरह जीने दो
मुझे देवी न बनाओ।
2 comments:
truely amazing poem....
https://urdumaza99.blogspot.com/2018/10/demmmo.html
best hindi and urdu poetry
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