Wednesday, April 10, 1996

तुम क्यों मौन हो?

मानव! मैं तुम्हारे नज़दीक आना चाहती हूँ,
क्या तुम आने दोगे?
एक खुशी, एक आनंद पाना चाहती हूँ,
क्या तुम पाने दोगे?
"हाँ" कहने वाले! क्या तुम मनुष्य हो?
जिसकी शीश हिमराज से ऊपर हो उसके तुल्य हो।

मानव! मैं तुम्हें जानना चाहती हूँ,
क्या तुम जानने दोगे?
तुममें शक्ति है यह मानना चाहती हूँ,
क्या तुम जानने दोगे?
"हाँ" कहने वाले! क्या तुम सच्चे मनुष्य से शांत-धीर हो,
अहिंसा से जग को झुका सकने वाले वीर हो?

मानव! मैं तुमसे कुछ अच्छा सीखना चाहती हूँ,
क्या तुम सीखने दोगे?
तुम्हारे ज्ञान को अपने दिल-ओ-दिमाग पर लिखना चाहती हूँ,
क्या तुम लिखने दोगे?
"हाँ" कहने वाले! क्या तुम्हारे पास सच्चे ज्ञान का दिया है,
नफ़रत की आग बुझाने वाले ज्ञान-जल को तुमने पिया है?

मानव! मैं तुमसे कुछ पूछना चाहती हूँ,
क्या तुम पूछने दोगे?
सिर्फ इतना, और मैं कुछ ना चाहती हूँ,
क्या तुम पूछने दोगे?
"हाँ" कहने वाले! बताओ तुम कौन हो?
अब बोलो, बोलो तुम क्यों मौन हो?

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