माँ
देखा है मैंने उसको
अपने बच्चे के लिए तड़पते हुए
उसकी सफ़लता पर अकड़ते हुए
कष्टों में उसके सिहरते हुए।
देखा है मैंने उसको
सुखी रोटी के टुकड़े निगलते हुए
पर बच्चे के पेट को भरते हुए
अपने कर्तव्यों को करते हुए।
देखा है मैंने उसको
ज़िन्दग़ी के संघर्षों से जूझते हुए
मौत के कुएँ में भी कूदते हुए
दुःख के घूँटों को घूँटते हुए।
देखा है मैंने उसको
माँ का पवित्र नाम बचाने के लिए
जहाँ के सारे दुःख अपने ऊपर लिए
बदले में हम सिर्फ उसे माँ कह दिए।
1 comment:
beautiful.
the last stanza is not that great compared to the other ones.
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