Tuesday, October 14, 2003

मैं आज बहुत उदास हूँ

मैं आज बहुत उदास हूँ।

कुछ अच्छा नहीं लिख पाऊँगी,
कुछ नया नहीं गुनगुनाऊँगी,
क्योंकि कुछ नया नहीं हुआ मेरे साथ,
बहुत से लोग उदास होते हैं दुनिया में,
मैं भी आज बहुत उदास हूँ।

नहीं, नहीं इसपर ये हंगामा न मचाओ,
आँखों में उनसे बड़ा ये अचरज न लाओ,
कोई अभूतपूर्व घटना नहीं घटी जग में,
बहुत से लोग थककर रोते हैं मग में,
मैं भी आज बहुत उदास हूँ।

मेरी मदद करने की कोशिश न करो,
उसके लिए कारण जानना पड़ता है,
बहुतों को नहीं पता होता है कि क्यों,
पर वे दुखी होते हैं यों ही,
मैं भी आज बहुत उदास हूँ।

मुझे यों अकेला टहलता देख डरो मत,
साथियों के बुलाने की कोशिश करो मत,
कोई बिजली नहीं गिरी, बादल तक नहीं गरजे,
बहुत से लोग फिर भी डरे-सहमे होते हैं,
मैं भी आज बहुत उदास हूँ।

मुझे सांत्वना न दो, सपने न दिखाओ,
ऐसा नहीं है कि कल मैं खुश नहीं रहूँगी,
सांत्वना, सपने, आशाओं के रहते हुए भी
कई लोग खालीपन महसूस करते हैं,
मैं भी आज बहुत उदास हूँ।

दुखी न हो कि इस कविता से तुम्हें आनंद नहीं मिला,
आश्चर्य न करो कि मैं, मैं नहीं लग रही,
पता नहीं होने पर भी कि क्या करना है, सब कुछ-न-कुछ करते हैं,
नहीं कुछ तो मेरी तरह उदासी व्यक्त करते हैं,
मैं भी आज बहुत उदास हूँ।

मैं आज बहुत उदास हूँ।